Monday, November 5, 2018

गुजरात हाई कोर्ट जज जस्टिस अकील कुरैशी के ट्रांसफर पर क्यों उठ रहे हैं सवाल ?

 नवंबर 2018 को कानून मंत्रालय की तरफ से चार अलग अलग नोटिफिकेशन निकाला जाता है जिस में कहा जाता है त्रिपुरा,पटना,गुजरात और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के जज होंगे. उसी दिन यानी 1 नवंबर को इस नोटिफिकेशन के पहले एक और नोटिफिकेशन मंत्रालय के द्वारा निकाला जाता है जिस में लिखा रहता है की गुजरात हाई कोर्ट के जज जस्टिस एके कुरैशी( ) का ट्रांसफर मुंबई हाई कोर्ट किया जाता है और 15 नवंबर को या इसे पहले उनको मुंबई हाई कोर्ट में ज्वाइन करना पड़ेगा. एक और नोटिफिकेशन आता है जिस में बताया जाता  है कि जस्टिस एएस दवे गुजरात हाई के एक्टिंग चीफ जस्टिस होंगे. एक्टिंग चीफ जस्टिस वाला नोटिफिकेशन को लेकर विरोध शुरू हो जाता है. कानून के जानकार कहते हैं की यह नियम के खिलाफ है.

क्या कहता है नियम 
नियम के हिसाब से जब कोई  हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का पद खाली होता है तो हाई कोर्ट के सबसे सीनियर मोस्ट जज एक्टिंग चीफ जस्टिस बनते हैं, उस हिसाब से गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, जस्टिस आरएस रेड्डी के सुप्रीम कोर्ट के जज बनने के बाद सबसे सीनियर जज जस्टिस कुरैशी को एक्टिंग चीफ जस्टिस बनना चाहिए था लेकिन जस्टिस एएस दवे को एक्टिंग चीफ जस्टिस बनाया जाता है। गुजरात बार एसोसिएशन इस निर्णय का विरोध करता है. गुजरात हाई कोर्ट बार एसोसिएशन अनिश्चित काल तक धरने पर जाने की धमकी देता है. प्रदर्शन और मुख्य न्यायाधीश की दखल के बाद मंत्रालय के तरफ से 2 नवंबर को एक नया नोटिफिकेशन आता कि अब जस्टिस कुरैशी गुजरात हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस होंगे. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई खुद मानते है की “जस्टिस कुरैशी को गुजरात हाई कोर्ट का एक्टिंग चीफ जस्टिस न बनाना एक गलती थी,गलती होती है और गलती सुधार दी गई है”. समय रहते इस मामले को सुलझा दिया जाता है लेकिन फिर भी इस तरह की निर्णय पर कई सवाल खड़े हो जाते हैं. 

जस्टिस कुरैशी ट्रांसफर के खिलाफ गुजरात बार एसोसिएशन पेटिशन फाइल करेगी 
अब जस्टिस कुरैशी ज्यादा से ज्यादा 15 नवंबर तक गुजरात हाई कोर्ट का एक्टिंग चीफ जस्टिस बने रहेंगे, जब वो मुंबई हाई कोर्ट में जज के रूप ज्वाइन करेंगे तब किसी दूसरे को गुजरात हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाना पड़ेगा हो सकता है वो जस्टिस दवे हो. मुंबई हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनना भी उन के लिए मुश्किल है क्यों की वहां वो पांचवें स्थान पर होंगे. जस्टिस कुरैशी के ट्रांसफर को गुजरात हाई कोर्ट बार एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट में पेटिशन दायर करने वाली है. बार एसोसिएशन के अध्यक्ष यतिन ओझा ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा की जस्टिस कुरैशी का ट्रांसफर करके कॉलेजियम ने ठीक नहीं किया है.. यतिन ओझा का कहना है कॉलेजियम के सामने जस्टिस कुरैशी को लेकर जो इनपुट रखा गया है वो सब बनावटी है और यह इनपुट केंद्र सरकार की तरफ से दिया गया है. ओझा ने कहा की जस्टिस कुरैशी कई बड़े केस से जुड़े रह चुके हैं. कई बड़े नेताओं के खिलाफ करवाई भी कर चुके हैं.

2010 में जस्टिस कुरैशी ने अमित शाह को सोहराबुद्दीन शेख के कथित फेक एनकाउंटर केस  (
     ) में दो दिन के लिए सीबीआई रिमांड पर भेजा था. 2011 में गुजरात के तत्कालीन राज्यपाल कमला बेनीवाल ने रिटायर्ड जस्टिस आरए मेहता को गुजरात के लोकायुक्त के रूप में नियुक्त किया था लेकिन गुजरात सरकार उनके खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गई और कहा कि राज्यपाल गुजरात सरकार को बाईपास करके लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर सकती है लेकिन जस्टिस कुरैशी ने राज्यपाल के पक्ष में जजमेंट दिया और कहा कि राज्यपाल ने जो निर्णय लिया है वो संवैधानिक है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने भी उठाए सवाल 
कई और लोगों ने  भी जस्टिस कुरैशी के ट्रांसफर को लेकर सवाल उठाये हैं. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने “बार और बेंच” में लिखा है जस्टिस रंजन गोगोई के साथ-साथ कॉलेजियम के अन्य चार जज त्रुटिहीन चरित्र और गुणों के लिए प्रसिद्ध है लेकिन उनके द्वारा जस्टिस कुरैशी का मुंबई हाई कोर्ट ट्रांसफर कई लोगों को हैरान कर दिया है.  दवे ने लिखा है कॉलेजियम के सामने जो इनपुट रखा गया होगा उसी के हिसाब से कॉलेजियम ने निर्णय लिया होगा लेकिन कॉलेजियम के सामने अथॉरिटी ने जो इनपुट रखा वो सही तरीके से संग्रह नहीं किया गया. फिर जस्टिस कुरैशी के बारे में दवे लिखते हैं की वो जस्टिस कुरैशी को बढ़िया से जानते हैं. जस्टिस कुरैशी ईमानदार के साथ बुद्धिमान और साहसी भी है और कानून का गहरा ज्ञान भी है ,वे पूरी तरह स्वतंत्र है और किसी तरह के राजनैतिक या आर्थिक दवाब में नहीं आते हैं.

दवे की बातों से यह साफ है कि चीफ जस्टिस और अन्य चार जजों ने जो निर्णय लिए वो उनके सामने रखे गए इनपुट को देखते हुए लिए. सबसे बड़ी बात है चीफ जस्टिस को जब इस के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत जस्टिस कुरैशी का साथ दिया और सरकार को गुजरात हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस बनाने के लिए लिखा. दवे ने जज के अपॉइंटमेंट को लेकर भी सवाल उठाया है. उनका कहना है जो जज राजनेताओं का साथ देते हैं वो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज बन जाते हैं और जो बाहुबली राजनेताओं के खिलाफ जजमेंट देते हैं, वो पीछे रह जाते हैं. दवे ने किसी राजनेता का नाम तो नहीं लिया है लेकिन लिखा है क्या जस्टिस कुरेशी का ट्रांसफर इसीलिए हुआ क्योंकि उन्होंने ऐसे बाहुबली राजनेताओं के खिलाफ जजमेंट देने का साहस किया. दवे ने ये भी लिखा है कि कोई ऐसा है जो जस्टिस कुरैशी को एक दिन के लिए भी चीफ जस्टिस बनना देखना नहीं चाहता है. वो कौन हो सकता है!

Monday, October 15, 2018

मैं जितनी अकेली हूं, उतनी ही आत्मनिर्भर भी'

क्या पाकिस्तान में भी ये मुद्दा इतना ही बड़ा है जितना भारत में नज़र आ रहा है, और अगर है तो फिर अब तक पाकिस्तानी महिलाएं खुलकर सामने क्यों नहीं आ रही हैं?
पाकिस्तान की पत्रकार सबाहत ज़कारिया कहती हैं, "पाकिस्तान में नौकरी के अवसर इतने कम हैं कि कई बार सामने आकर किसी पर आरोप लगाना आर्थिक रूप से ख़ुद को तबाह करने के बराबर होता है."
उनका कहना है कि "यहां ताक़त बहुत थोड़े से लोगों के हाथ में है और वे सब एक दूसरे से किसी न किसी तरह जुड़े हुए हैं. ऐसे में अगर एक महिला किसी का नाम लेकर उस पर आरोप लगाती है तो उस शख़्स को तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है लेकिन यह ज़रूर है कि उस महिला की ज़िंदगी बहुत मुश्किल ज़रूर हो जाती है."
"यानी इस तरह के आरोप लगाने के लिए या तो आप ख़ुद बहुत ताक़तवर हों, या फिर कुछ औरतें अपनी पहचान ज़ाहिर किए बग़ैर सामने आती हैं. लेकिन इस पर भी सवाल उठते हैं."
भारत और पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में अकसर ये देखा जाता है कि इस तरह का आरोप लगाने वाली औरतों को हमदर्दी की जगह समाज से और दूसरे आरोपों का सामना करना पड़ता है.
सबाहत ज़कारिया कहती हैं कि इसकी एक वजह ये भी है कि इस तरह के आरोप को साबित करना बेहद मुश्किल काम होता है, और अगर कुछ औरतें स्क्रीनशॉट जैसे कोई सबूत पेश भी कर दें तब भी उन पर यक़ीन नहीं किया जाता.
"लेकिन मैं फिर भी आशावादी हूं. कोई भी आंदोलन एकदम ही कामयाब नहीं होता. नतीजे सामने आने में वक़्त लगता है. अब कम से कम इस बारे में बात हो रही है. औरतें एक दूसरे की मदद कर रही हैं, ज़्यादा मज़बूत हैं और मर्दों को इस बारे में सोचने पर मजबूर होना पड़ा है."
एक वजह शायद ये भी है कि बड़े-बड़े नामों पर आरोप लगाने के बावजूद ऐसा कम ही होता है कि महिलाओं की बातों पर यक़ीन किया जाए या फिर उन्हें इंसाफ़ मिले.
पत्रकार बेनज़ीर शाह कहती हैं, "जब गायिका मीशा शफ़ी ने ट्विटर पर ही अली ज़फ़र पर आरोप लगाया, तो कई दूसरी औरतें भी सोशल मीडिया पर सामने आईं. फिर क़ानूनी कार्रवाई भी शुरू हुई. लेकिन अगर देखा जाए तो इस केस में भी कुछ नहीं हुआ. अली ज़फ़र के काम पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा. उनका ब्रैंड्स के साथ क़रार जारी रहा और उनकी फ़िल्म भी रिलीज़ हुई."
वह कहती हैं, "किसी हद तक इसमें मीडिया हाऊसों ने भी किरदार अदा किया जो उनकी फ़िल्म उस वक्त प्रमोट कर रहे थे. और इसके बाद मीशा भी ख़ामोश हो गईं और दूसरी औरतें भी. जब इस तरह के चर्चित मामले में ऐसा होता है तो इससे आप हतोत्साहित होते हैं. महिलाओं को लगता है कि अगर मीशा शफ़ी जैसी प्रसिद्ध और कामयाब महिला कुछ नहीं कर सकी तो उनके साथ क्या होगा."
बेनज़ीर शाह कहती हैं कि जब तक महिलाओं को सत्ता में हिस्सा नहीं दिया जाएगा, जब तक उन्हें ऐसी भूमिका नहीं मिलेगी जहां वह ख़ुद फ़ैसले ले सकें तब तक ऐसे आंदोलनों का कामयाब होना मुश्किल है.
वह कहती हैं, "हमारी सरकार में कितनी महिलाएं हैं? हमारी न्यायपालिका मे कितनी महिलाएं हैं? अब तक महिलाओं के हक़ के लिए जितने नए क़ानून बने हैं वे इस वजह से बनें हैं कि महिलाओं ने वे मुद्दे उठाए और उन पर काम किया. अगर न्यायपालिका और कार्यपालिका में महिलाओं को हिस्सेदार ही न बनाया जाए तो फिर बदलाव कैसे आएगा?"विक्की डोनर'' में तो अडल्ट तस्वीरें लगी दिखाई थीं लेकिन यहां तो एक वॉशरूम है जहां दीवार, कमोड, नल और वॉशबेसिन हैं.
पहली बार मैं काफ़ी असहज महसूस कर रहा था. अपने कमरे में हस्तमैथुन करना और बेचने के लिए करना, दोनों में बहुत फ़र्क़ है.
वॉशरूम में एक प्लास्टिक के कंटेनर पर मेरा नाम लिखा था. मैंने हस्तमैथुन करने के बाद उसे वॉशरूम में छोड़ दिया. मुझे इसके एवज में 400 रुपए दिए गए.
मेरी उम्र 22 साल की है और मैं एक इंजीनियरिंग का छात्र हूं.
मेरी उम्र में गर्लफ्रेंड की चाह होना और किसी के प्रति यौन आकर्षण होना आम बात है.
मैं जिस छोटे शहर से आता हूं वहां शादी से पहले संबंध बनाना इतना आसान नहीं होता.
मुझे लगता है कमोबेश यही स्थिति लड़कियों की भी होती है.
ऐसे में लड़कों के लिए हस्तमैथुन एक विकल्प बनता है. लेकिन मुझे क्या पता था कि जिसे कल तक बर्बाद करता था उसे आज बेचने जाने लगूंगा.
स्पर्म डोनेशन के बारे में मैंने अख़बार में एक रिपोर्ट पढ़ी थी.
इससे पहले मैंने रक्तदान तो सुना था, लेकिन स्पर्म डोनेशन शब्द शायद पहली बार पढ़ा था.
मेरी जिज्ञासा और बढ़ी और मैंने उस रिपोर्ट को पूरा पढ़ा. रिपोर्ट पढ़ी तो पता चला कि हमारे देश में ऐसे लाखों दंपती हैं जो स्पर्म की गुणवत्ता में कमी के कारण बच्चे पैदा नहीं कर पा रहे हैं और इसी वजह से स्पर्म डोनेशन का दायरा तेज़ी से बढ़ रहा है.
मुझे ये पता चला कि दिल्ली के जिस इलाक़े में मैं रहता हूं, वहीं मेरे घर के पास स्पर्म डोनेशन सेंटर है. मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न जाकर देखा जाए. गोरा हूं, मेरी क़द-काठी भी ठीक है और बास्केटबॉल खेलता हूँ.
मैंने जब स्पर्म कलेक्शन सेंटर जाकर स्पर्म देने का प्रस्ताव रखा तो वहाँ बैठे डॉक्टर मुझे देखकर मुस्कुराए. वो मेरी पर्सनैलिटी से ख़ुश दिखाई दिए और डॉक्टर की ये प्रतिक्रिया देखकर मैं थोड़ा असहज हो गया.
लेकिन यहां मसला केवल मेरे लुक का नहीं था.
मैं अपने स्पर्म बेच रहा था और इसके लिए मुझे ये साबित करना था कि बाहर से जितना मज़बूत हूं अंदर से भी उतना ही तंदुरुस्त होना चाहिए.
डॉक्टर ने मुझसे कहा कि तुम्हें कुछ जांचों से गुज़रना होगा.
मेरा ब्लड सैंपल लिया गया. इसके ज़रिए एचआईवी, डायबिटीज़ और कई तरह की बीमारियों की जांच की गई.
मैं सब पर खरा उतरा तो जांच के तीसरे दिन मुझे सुबह नौ बजे बुलाया गया.

मेरे स्पर्म से कोई मां बन सकती

मुझसे एक फॉर्म भरवाया गया, जिसमें गोपनीयता की शर्तें दी गई थीं. इसके बाद मुझे प्लास्टिक का एक छोटा सा कंटेनर दिया गया और वॉशरूम का रास्ता दिखा दिया गया.
अब ये सिलसिला चल पड़ा था. मैं अपना नाम लिखा प्लास्टिक का कंटेनर वॉशरूम में छोड़ता और पैसे लेकर निकल जाता.
मुझे ये ख्याल तसल्ली देता कि मेरे स्पर्म डोनेट करने से कोई मां बन सकती है.
मुझे ये भी बताया गया कि स्पर्म डोनेट करने में तीन दिन का समय होना चाहिए यानी पहले दिन डोनेट करने के बाद अगली बार कम से कम 72 घंटे बाद ही स्पर्म डोनेट किया जा सकता है.
लेकिन अगर ज़्यादा समय बीत जाता है तो स्पर्म डेड हो जाते हैं.
'खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था'
कुछ महीने बाद मेरे मन में ये ख्याल आने लगे कि कि क्या मुझे इस काम के पैसे काफ़ी मिल रहे हैं.
'विक्की डोनर' फिल्म में तो हीरो इस काम के ज़रिए अमीर होता जाता है और मुझे एक बार डोनेट करने के महज़ 400 रुपए मिल रहे थे.
मतलब हफ़्ते में दो बार स्पर्म डोनेट किए तो 800 रुपए मिलते और महीने में 3200 रुपए. मैं ख़ुद को ठगा सा महसूस कर रहा था.
मैंने स्पर्म सेंटर जाकर फ़िल्म का हवाला दिया और पैसे कम देने पर नाराज़गी जाहिर की.
लेकिन मेरा क़द-काठी और गोरे रंग का गुमान उस समय चकनाचूर हो गया जब सेंटर में मुझे कंप्यूटर पर वो सारे मेल दिखाए गए, जहां लोग अपना स्पर्म बेचने के लिए लाइन में लगे हुए हैं.
ख़ैर, मैंने भी ख़ुद को ये कहकर बहलाया कि मैं कोई आयुष्मान खुराना तो हूं नहीं. शायद इतने कम पैसे के कारण ही हम जैसे लोगों को डोनर कहा जाता है न कि सेलर.
भले पैसे कम हों, लेकिन मेरे जीवन पर इसका एक सकारात्मक असर पड़ा है. अब लगता है कि स्पर्म्स को यूं ही बर्बाद नहीं करना चाहिए.
दूसरा यह कि घर पर पहले की तरह हर दिन हस्तमैथुन करने की आदत छूट गई है.
मुझे ये भी पता है कि मैं कोई ग़लत काम नहीं कर रहा, लेकिन मैं इस बारे में सबको नहीं बता सकता. इसका मतलब ये क़तई नहीं है कि मैं किसी से डरता हूं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि समाज इतना परिपक्व है कि वो इसे संवेदनशीलता से समझे.
मेरे मन में कोई अपराध बोध नहीं है पर लोगों के बीच इसे बताना भी ख़तरे से ख़ाली नहीं मैं इस बारे में अपने घर में भी किसी को नहीं बता सकता, क्योंकि मेरे माता-पिता को इस बात से झटका लगेगा. हालांकि दोस्तों के बीच ये विषय टैबू नहीं है और मेरे दोस्तों के बीच अब ये आम बात है. दिक़्क़त परिवार और रिश्तेदारों के बीच है.
मुझे अपनी गर्लफ्रेंड को भी बताने में कोई दिक़्क़त नहीं है.
वैसे अभी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है. पहले थी, लेकिन मेरी जो भी गर्लफ्रेंड होगी वो पढ़ी-लिखी होगी और मुझे लगता है कि वो इसे सही ढंग से ही लेगी.
मुझे लगता है कि पत्नियां ज़्यादा पज़ेसिव होती हैं और वो नहीं चाहेंगी कि उनका पति शौक से जाकर किसी को स्पर्म दे. मैं अपनी पत्नी को ये बात नहीं बताना चाहूंगा.
वैसे भी स्पर्म ख़रीदने वाले अविवाहित लड़कों को प्राथमिकता देते हैं और 25 तक की उम्र को ही ये इस लायक मानते हैं.
एक स्पर्म डोनर होने के नाते इसके बारे में मुझे कई चीज़ें पता हैं. मतलब स्पर्म की क़ीमत केवल स्पर्म की गुणवत्ता से ही तय नहीं होती है. आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कैसी है, माता-पिता क्या करते हैं, आपने कितनी पढ़ाई-लिखाई की है. ये सारी बातें मायने रखती हैं.
अगर आपको अंग्रेज़ी आती है तो स्पर्म की क़ीमत भी बढ़ जाती है. हालांकि अंग्रेज़ी आने वाले व्यक्ति के स्पर्म से जन्मी संतान पर क्या असर पड़ता होगा मुझे नहीं पता है, लेकिन कई लोग ऐसे स्पर्म की मांग करते हैं. इनके पास जैसे ग्राहक आते हैं, वैसी ही हमलोग से मांग भी करते हैं.
मुझे पता है कि स्पर्म डोनर की मेरी पहचान उम्र भर साथ नहीं रहेगी क्योंकि उम्र भर स्पर्म भी नहीं रहेगा. मुझे पता है कि यह पहचान मेरी मां के लिए शर्मिंदगी की वजह होगी और कोई लड़की शादी करने से इनकार कर सकती है. लेकिन क्या मेरी मां या मेरी होने वाली बीवी को ये पता नहीं होगा कि इस उम्र के लड़के हस्तमैथुन भी करते हैं. अगर स्पर्म डोनेशन को शर्मनाक मानते हैं तो हस्तमैथुन भी शर्मनाक है. लेकिन मैं मानता हूं कि दोनों में से कोई शर्मनाक नहीं है.

Monday, October 8, 2018

中国新绿色债券规定对可持续投资有何意义?

中国成为世界上第一个对“绿色债券”发行制定正式规定的国家,所谓“绿色债券”是指专门用来为可持续解决方案融资的债券。

出台新规旨在中国尽快建立一个繁荣的绿色证券市场,以便从全球私营部门筹措亟需的资本,为中国的绿色经济转型提供资金支持。

这些规定包括《绿色债券发行指引》和《绿色债券支持项目目录》(以下简称《指引》和《目录》),由中国人民银行和中国金融学会绿色金融专业委员会于去年12月22日颁布。

上述政府文件对(债券)收益的披露与利用提出了重要的要求,以确保一个透明和健全的绿色债券市场。

其中列举了中国绿色债券融资的六大类项目:节能、污染防治、资源节约与循环利用、清洁交通和清洁能源,以及生态保护和适应气候变化。
据绿色金融专业委员会指出,为解决空气污染等环境问题,中国每年需要注入的气候资金至少为2万亿人民币(3300亿美元)。

其中85%的投资必须从私营部门筹集,不分国内和国外。鉴于2014年全球债务市场规模已约达100万亿美元,众多必备的投资可通过债券筹集。

气候债券倡议组织指出,全球绿色债券市场从2011年的110亿美元增长到2015年的420亿美元,来自欧美的“玩家”主导了其中大部分市场。

但是,中国新规定的颁布标志着一个至关重要的新“玩家”入场,形势将发生全面变化。

绿色概念的中国“影子”

新《指引》的现行版本高度关注中国的环境挑战,为债券市场提供了一个“本土化”的绿色定义。它强调以污染防治和生态保护来应对中国的环境挑战,同时通过开展上游供应链项目来解决这些问题,比如净化煤炭处理和开采。

《指引》与国际标准之间存在显著的区别。其中最明显的一条是中国规定适用于清洁煤炭,而气候债券倡议则将所有与化石燃料有关的项目都排除在外。对于那些投资策略中有环境约定的机构投资者来说,这一差别十分重要;从刚刚结束的巴黎气候峰会所做出的支持淘汰煤炭和减少排放承诺的角度来说,也是如此。

围绕什么是“绿色”产生的差异并非没有先例。多边开发银行制定绿色债券适用标准,在其选择资助项目时,试图在经济发展需要和环境完整性之间寻求平衡就是一个例证。比如,世界银行绿色债券资助的巴西填埋项目尽管实现了碳减排,但处于“绿色”与“肮脏”之间的灰色地带。

国际市场上的国际投资者和潜在的中国债券发行者,都应该明白这一差别的意义。对国际投资者来说,他们必须与发行者接触并获得更多信息,以避免违背可持续投资的约定。对于那些瞄准国际市场的潜在中国发行者来说,这一差别可能导致国外市场上投资者的不同偏好。

信息披露

新《指引》中的收益披露和使用要求对国内和国外投资者来说都是重点。要确保绿色证券所资助的项目实现其环境和社会收益,完整性和透明度是基本要求。这对解决中国债券市场投资者的可能关切来说尤为重要。与经常包含自愿报告机制的发达市场不同,中国债券发行者们还有待制定健全的措施来显示资金一定会流入那些合规适用的绿色项目。《指引》中对收益的定期披露和明确分配要求的目的就是消除一些人可能产生的疑虑。

未来参与

在《指引》和《目录》颁布前,一些中国的先行者实际上已经在国际市场上体验了绿色债券发行。2015年7月,新疆金风公司成功发行了一单3亿美元的三年期绿色债券,
认购金额高达14亿美元。

去年9月,香港中电集团通过其印度子公司发行了第一单公司绿色债券,保证了9030万美元的基本建设费用,实现了风电资产的再融资。

10月,中国农业银行发行了第一单用人民币和美元计价的绿色债券,为中国绿色债券市场吸纳9.945亿美元资金。

如今中国已经明确了哪些部门和项目可以称为“绿色”,也围绕绿色债券发行制定了规则。中国可能会迅速成长为绿色债券市场最大的玩家之一。

事实上,就在中国人民银行和绿色金融专业委员会发布新规定之后不久,兴业银行就在2016年1月6日根据《指引》发行了第一单绿色资产抵押债券。债券面值约为4.016亿美元,超额认购 2.5倍。

最近,机构投资者(养老基金、保险公司、非银行机构投资者等)
获准进入股市,它们将在私有部门的融资方面发挥更重要的作用

我们有理由相信未来这些投资者将成为中国绿色债券的国内买家。实际上,它们一直以来都是传统中国债券市场的活跃主体。

《指引》还将帮助中国债券发行者接触到多样性的国际机构投资者,获得低成本的长期资本。不仅中国的海外发行对国际投资者来说至关重要,国内的发行与国际投资者的关系也将日益紧密。今年早些时候,
中国降低了国际买家进入银行间证券市场的难度,《指引》适用于该市场的事实对国际投资者来说可以在履行其信托义务的同时在中国开辟投资机遇。

生态文明

除了承诺在2030年达到煤炭消费和碳排放峰值,中国还制定了建设“生态文明”的宏伟目标。早在绿色证券的《指引》和《目录》出台前,中国金融界已经开始在股市中寻求绿色投资机会。

上交所和中证指数于2015年10月联合创立了
上证180碳效率指数,这一例子很好地表明了监管者和市场参与者已经深刻认识到金融市场中包含的气候变化和环境风险。

但是,单靠这个还远不足以涵盖所有的投资策略,也无法帮助投资者把气候变化和环境风险最小化。只有提供满足投资者各种需求的广泛绿色投资选项,可持续投资的概念才能得到完全实现。

中国绿色证券新规的出台有助于中国可持续经济增长的转型,为其筹集必需的资金。

中国政府呼吁发行者抓住绿色债券高潮的机会,获得新的资本来源, 并从世界最大经济体的新投资机遇中获益。

Tuesday, October 2, 2018

ख़बर का मतलब होता है- शादी हो जाना या घर

झसे अक्सर ये सवाल किया जाता है कि मैं सेक्शुअली एक्टिव हूं या नहीं. कुछ तो मुझसे सीधे यही पूछ लेते हैं कि मेरी 'हेल्थ' ठीक भी है या नहीं.
एक को तो ये जानने में बहुत दिलचस्पी है कि क्या मेरी दिलचस्पी पुरुषों में है.
मैं कहता हूं कि प्रिय दोस्त, अब समझदार हो जाओ, अगर ऐसा होता तो मैं किसी पुरुष के साथ रह रहा होता.
अगर मैं ऐसे सवालों का जवाब ग़ुस्से में देता हूं तो तुरंत मुझ पर दोस्ताना न होने का लेबल चस्पा कर दिया जाता है. इसलिए मैं ख़ामोश रह जाता हूं.
कौन कहता है कि समाज मेरे मामले में ज़बरदस्ती अपनी नाक घुसा रहा है? वो तो बस मेरे बारे में चिंतित हैं और मुझे उनसे शिकायत नहीं होनी चाहिए.
सीधे ये पूछने के बजाए कि मैं कुंवारा हूं या नहीं, कुछ लोग यूं सवाल पूछते हैं, "घर बसा लिया या नहीं."
और मैं इस सवाल के जवाब को कुछ मज़ेदार बनाते हुए कहता हूं, "मैं इस दिशा में काम कर रहा हूं. अच्छा कमा रहा हूं, मेरे ऊपर कोई क़र्ज़ नहीं है और मेरा स्वास्थ्य भी बिलकुल ठीक है."
और फिर होता है वही सवाल, "तुमने शादी की या नहीं?", मुझे लगता है कि मेरा जैसा व्यक्ति जो 'लाइफ़ में सेटल' नहीं हुआ है उसके लिए सबसे ज़्यादा परेशान करने वाला सवाल यही है.
सिंगल होने की वजह से मुझे बहुत सी 'सुविधाओं' का 'लाभ' भी मिला है. ये समाज का एक वर्ग हमें देता है.
मेरे एक पूर्व बॉस कहते थे, "तुम सिंगल हो, सप्ताहांत पर दफ़्तर आ सकते हो, देर तक काम करना तुम्हारे लिए समस्या नहीं होगी."
मैं उनसे कहना चाहता था कि बॉस, मेरे भी अपने कुछ काम हैं. लेकिन मैंने कभी ये कहा नहीं.
मेरे घर के मालिक ने एक बार कहा, "तुम अकेले हो, सबसे ऊपर की मंज़िल पर रहो, वहां कपड़े सुखाने में भी मदद मिलेगी. बीच वाली मंज़िल पर फ़ैमिली रह सकती है."
मैं भी दूसरों की तरह बराबर किराया दे रहा हूं फिर मैं ही सबसे ऊपर क्यों रहूं?
मेरे एक दोस्त ने अपनी गृह प्रवेश पार्टी का न्यौता देते हुए कहा, "तुम सिंगल हो, क्या तुम्हें भी न्यौते की ज़रूरत है? इस व्हाट्सएप संदेश को ही न्यौता समझो."
"तो न्यौते का कार्ड पाने के लिए भी शादीशुदा होना ज़रूरी है? मेरे लिए तो ये बात ख़बर जैसी ही है."
ज़रूरत पड़ने पर मुझे देर तक काम करने में परेशानी नहीं है. घरेलू मामलों में मैं कुछ चीज़ों को लेकर साथ रहने वालों के लिए समझौता भी कर सकता हूं. और हां, मैं पेड़ बचाओ अभियान का समर्थक भी हूं. मैं किसी कार्ड का इंतज़ार नहीं कर रहा हूं.
शादी कर रहा हूं या नहीं कर रहा हूं या देर कर रहा हूं, ये मेरी पसंद का मामला हो सकता है. बात जो भी हो, समाज को मेरी बड़ी चिंता है.
मुझे भले ही किसी सलाह की ज़रूरत न हो लेकिन समाज के पास मेरे लिए इसकी भरमार है.
मुफ़्त नुस्ख़े, सलाह, अगर मैं अकेला ही रहा तो दस-बीस साल बाद क्या होगी इसकी भविष्यवाणियां और न जाने क्या क्या.
एक साथी ने मुझसे कहा कि मैं ऐसे लोगों से जुड़ूं जो मेरी जैसी ही स्थिति में हैं. मैंने पूछा, "आर्थिक स्थिति में या भौगोलिक स्थिति में?"
"नहीं वो लोग जिन्होंने सही समय पर शादी नहीं की. तुम जानते हो, तुम लोग एक दूसरे को समझ सकते हो और बाक़ी जीवन साथ में अच्छे से बिता सकते हो."
मैंने कभी किसी से ये नहीं कहा कि मैंने शादी करने का सही समय गंवा दिया. ना ही मैंने कभी किसी से ये कहा कि मैं जीवनसाथी तलाश रहा हूं.
पहले मैं अपने दोस्तों, रिश्तेदारों की शादियों में और अन्य पारिवारिक समारोहों में जाया करता था. शादी के निमंत्रण कार्ड का सम्मान करना मेरी प्राथमिकता हुआ करता था. लेकिन अब मैं अपने आप को बदलने के लिए मजबूर हो गया हूं.
क्योंकि ऐसे मौकों पर मुझसे कुछ ज़्यादा ही सवाल किए जाते हैं.
"इतने दिनों बाद आपको देखकर ख़ुशी हुई. पांच साल हो गए, है ना? आपकी बीवी कहां हैं?"
और फिर मेरे अगल-बगल देखने और मुझे अकेले पाने के बाद आती हो वही लाइन- "ओह, अभी तक सिंगल ही हो?"
मुझे लगता है कि अब मेरे लिए समय आ गया है जब इस पर रोक लगा दूं और बहुत सोच समझकर ही लोगों से बात करूं और समारोहों में जाऊं.
अब जब मैं छुट्टियों के बाद अपने गृहनगर से लौटकर ऑफ़िस आता हूं तो मैं जानबूझकर खाली हाथ आता हूं. अपने गृहनगर की मशहूर मिठाई नहीं लाता. क्योंकि मैं उसी सवाल से बचना चाहता हूं- "कोई ख़ास ख़बर है क्या?"
आमतौर पर इस ख़ास ख़बर का मतलब होता है- शादी हो जाना या घर में बच्चा होना.
मैं स्कूल के दिनों में क्रिकेट के बजाए हॉकी को पसंद करता था. इस पर कभी सवाल नहीं उठे.
जब सब लोग ट्रेंडी नई मोटरसाइकिलों ख़रीद रहे थे, मैं पुराने दौर की बाइक पसंद कर रहा था.
मेरे रंग पर हल्के रंग के कपड़े अच्छे लगते थे लेकिन मुझे गहरे रंग पहनना पसंद था.
मैं किसी और क्षेत्र में पढ़ाई की और किसी बिल्कुल अलग क्षेत्र में काम कर रहा हूं.
मैं उन सभी लोगों का शुक्रगुज़ार हूं जिन्होंने मेरी प्राथमिकताओं को समझा और मुझे प्रेरित किया. मेरे दोस्तों और समाज ने मुझे बहुत प्रोत्साहन दिया और मैं जीवन में आगे बढ़ सका.
लेकिन जब मेरे सिंगल रहने के सोचे-समझे फ़ैसले की बात आती है तो मुझे वो प्रोत्साहन नहीं मिलता.
मैं शादी कर भी सकता हूं और नहीं भी. लेकिन मुझे अभी तक जीवनसाथी नहीं मिला है. मैं इश्क़ में अपनी नाकामी से आगे बढ़ चुका हूं. लेकिन ज़िंदगी में आगे बढ़ना एक अलग ही प्रश्न है. मैं अभी वो फ़ैसला लेने की स्थिति में नहीं आ पाया हूं.
फिलहाल तो मैं सिंगल ही हूं. आज का सच यही है, कल की बात कुछ और हो सकती है.
क्या मुझे फिर से इश्क़ होगा? हो सकता है, जब होगा तब वो भी देखा जाएगा.

Monday, September 10, 2018

मिलनाडु में रहने वाले कुछ लोग तमिलनाडु पुलिस की का

तमिलनाडु में रहने वाले कुछ लोग तमिलनाडु पुलिस की कार्रवाई और योगेंद्र यादव की गिरफ़्तारी से बिल्कुल भी हैरान नहीं थी.
जल्लीकट ट्रस्ट के सदस्य हिमाकरन अवागुला ने कहा, ''इस हाइवे का विरोध कर रहे किसानों से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है. अगर कोई उनसे मिलने की कोशिश करता है तो पुलिस उसे तुरंत गिरफ़्तार कर लेती है. सामान्य तौर पर उन्हें शाम के 5 या 6 बजे तक हिरासत में रखा जाता है और अगर वो निर्देशों को नहीं मानते हैं तो उन्हें ज़िला छोड़ने के लिए कहा जाता है. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें गिरफ़्तार करके मजिस्ट्रेट के सामने ले जाते हैं.''
हिमाकरन ने बताया कि पुलिस ने धर्मपुरी से लोकसभा सांसद और पीएमके नेता अंबुमणि रामदॉस तक को उनके ​ही संसदीय क्षेत्र में जाने और लोगों से मिलने से रोक दिया.
अंबुमणि रामदॉस ने भी इस बात की पुष्टि की और बताया, ''जब मैं मद्रास हाइकोर्ट गया तो कोर्ट को भी इस बात की हैरानी हुई कि मुझे मेरे संसदीय क्षेत्र में जाने नहीं दिया गया. ये बहुत अजीब है कि चेन्नई और सलेम के बीच पहले से ही तीन हाइवे हैं और किसी ने भी चौथे हाइवे की मांग नहीं की थी. मुख्यमंत्री पलानीसामी ने सिर्फ एक दिन में ये परियोजना केंद्र सरकार से मंज़ूर करा ली थी.''
रामदॉस ने कहा, ''इस हाइवे के लिए तीन पहाड़ियां काटी जाएंगी. तिरुवनमलाई में गौती और वेरिअप्पन पहाड़ी और सलेम जिले में गंजम पहाड़ी. तीनों ही लौह अयस्क से भरपूर हैं. यहां लौह अयस्क की लूट होगी.''
उन्होंने बताया कि योगेंद्र यादव तिरुवनमलाई में इसलिए आए थे क्योंकि किसानों ने उन्हें बुलाया था. इन पांच जिलों में एक तरह से 'लघु आपातकाल' लगा दिया गया है.
गिरफ़्तारी की आलोचना
रात को पुलिस ने योगेंद्र यादव को रिहा कर दिया. इसकी जानकारी योगेंद्र यादव ने फेसबुक पोस्ट करके भी दी. उन्होंने लिखा कि आखिरकार तमिलनाडु सरकार नरम पड़ी. हमारे साथ हिरासत में लिए गए सभी किसानों (करीब 40) को रिहा कर दिया गया है. मैं किसानों से मिलने जा रहा हूं.
डीएमके नेता एमके स्टालिन ने ट्वीट किया, ''डीएमके स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव की जबरन हिरासत की सख्ती से निंदा करती है जो चेन्नई—सलेम एक्सप्रेस वे परियोजना से प्रभावित होने वाले किसानों का समर्थन करने आए थे. असहिष्णु एआईएडीएमके सरकार को लोगों के अलग मत रखने और विरोध करने का लोकतांत्रितक अधिकारी छिनने की क़ीमत चुकानी होगी.''
जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने भी योगेंद्र यादव की गिरफ़्तारी का विरोध करते हुए ट्वीट किया, ''तमिलनाडु में पूरी तरह पुलिस राज है जिसे दिल्ली से नियंत्रित किया जा रहा है. आख़िर किस क़ानून के तहत पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार किया. सिर्फ़ ज़मीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों से मिलने के लिए. अघोषित आपातकाल!''हमारे चहेते प्रधानमंत्री अटल जी के घुटने का ऑपरेशन 10 अक्तूबर को होना है और हम उनके स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं. पार्टी ने दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए 10 सूत्रीय एक्शन प्लान बनाया है. यूपी, बंगाल, पंजाब, केरल, असम और तमिलनाडु के विधान सभा चुनाव की तैयारी में लग जाना है."
ये आह्वान साल 2000 में तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण ने नागपुर में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दिया था.
आते हैं साल 2003 में जब रायपुर में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और जसवंत सिंह के सामने मौजूदा उप-राष्ट्रपति और तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने एक दहाड़ लगाई थी.
वेंकैया नायडू ने कहा था, "भाजपा में एकता है. भाजपा में स्पष्टता है. लोग भाजपा और सहयोगी दलों को एक और बड़ा मौका देना चाहते हैं."
अगले ही साल यानी 2004 के आम चुनावों में भाजपा नेतृत्व वाले सत्ताधारी एनडीए गठबंधन को क़रारी हार के बाद गद्दी छोड़नी पड़ी थी.
लौटते हैं सीधे 14 साल बाद 8 सितंबर, 2018 को शुरू हुई भाजपा की एक और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तरफ़.
"नरेंद्र मोदी में हमारे पास दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता है." हुंकार भरी भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने.
ज़ाहिर है, इशारा 2019 के आम चुनावों और इसी साल होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच विधान सभा चुनावों की तरफ़ है.
दिल्ली के एक नामचीन पांच सितारा होटल के बगल में आंबेडकर इंटरनैशनल सेंटर हैं जिसका उद्घाटन पिछले साल खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था.
आंबेडकर सेंटर आज भाजपा के भगवे रंग के बैनरों से सजा हुआ है और हर तरफ़ दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की तस्वीर लटक रही है.
भीतर के हॉल में वाजपेयी की कविताओं के अलावा परवेज़ मुशर्रफ़ से हुई उनकी मुलाक़ात, संयुक्त राष्ट्र में दिया गया उनका भाषण और दर्जनों रैलियों को सम्बोधित करने वाली तस्वीरें लगाई गई हैं.
अंदर से लेकर बाहर सड़क तक लगे लगभग हर बैनर पर सबसे बड़ी तस्वीर नरेंद्र मोदी की है, ठीक बगल में विराजमान हैं मौजूदा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की फ़ोटो.
राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और नितिन गडकरी नेताओं की तस्वीर भी इसी बैनर पर है, लेकिन पहली दो तस्वीरों की आधी.
थोड़ा ढूढ़ने पर कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी की तस्वीर भी एक बैनर पर दिखी. लेकिन उस तस्वीर पर सिर्फ़ यही दो 'मार्गदर्शक' नेता थे, कोई और नहीं.
शनिवार सुबह अमित शाह ने यहाँ पहुँचने के साथ ही भीमराव आंबेडकर की विशाल प्रतिमा पर फूल चढ़ाए और प्रणाम किया.
पिछले तमाम वर्षों में पार्टी की ये बैठक अगर दिल्ली में होती थी तो जगह तालकटोरा या जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम या फिर एनडीएमसी सेंटर ही रहती थी.
भीमराव आंबेडकर के नाम से जुड़े इस भव्य भवन में बैठक का होना महज़ इत्तेफ़ाक़ बिलकुल नहीं है. जरात में दलितों के ऊपर हुए हिंसक हमलों से लेकर उत्तर प्रदेश में मायवती पर एक वरिष्ठ भाजपा नेता की अभद्र टिपण्णी पर माफ़ी मांगने तक.
पिछले दो वर्षों में देश के महराष्ट्र राज्य से लेकर गुजरात और उत्तर प्रदेश तक दलित समुदाय के विशालकाय विरोध प्रदर्शनों का निशाना भी झेलना पड़ा है.
इस बीच भाजपा सरकार ने एससी-एसटी एट्रोसिटी प्रिवेंशन एक्ट को फिर से मूल स्वरूप में लाने के लिए क़ानून बनाने की घोषणा की है.
एससी-एसटी एक्ट 1989 का एक स्पेशल एक्ट है जिसे बनाने की वजह थी भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धाराओं के बावजूद एससी-एसटी के ख़िलाफ जाति के आधार पर होने वाले अपराधों का कम न होना.
इसमें तत्काल मुक़दमा दायर होने और मुक़दमा दायर होने के बाद तत्काल गिरफ़्तारी का प्रावधान है और अग्रिम ज़मानत निषेध है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस साल एक फ़ैसले में इन तीनों प्रावधानों को निरस्त कर दिया था. सरकार अब नया क़ानून लाकर अत्याचार निरोधक क़ानून को मूल रूप में बहाल करने की योजना बना चुकी है.
ज़ाहिर है, निशाना दलित और पिछड़े वर्ग का अहम वोट है.

Friday, September 7, 2018

世界大部分地方“离另一城市不到两天”

《新科学家》杂志引用新的世界连通性地图称, 世界上已剩下很少地方没有涉及人类的足迹。该地图由位于意大利伊斯普拉的欧洲委员会联合研究中心及世界银行的研究人员联合绘制。研究人员发现, 世上最偏远的地方位于青藏高原,到达拉萨或库尔勒需要三周时间。

该地图主要根据一个结合了地形、道路设施、铁路及河流网络等资料的模型, 计算出以陆路或水路前往最近的 人口以上的城市所需的时间。这个换算模型亦衡量一些导致行程缓慢的因素,如高度、陡峭地形以及过境延误等。

根据绘制成的地图, 从最近的城市出发, 世上只有不到10%的地方需要超过48小时的陆路方式前往。即使偏远如亚马孙地带, 其四通八达的河道和正在增加的道路设施意味着从邻近城市出发, 只有其中20%的土地需要超过两天的时间到达。


在地图上,一些世界上最繁忙的航道显示出中国出口贸易的蓬勃发展。这些地图的建立是为了说明人口分布如何影响他们获得教育和医疗保障等资源, 以及显示出人类如何把野生动物从偏远的栖息地驱赶出来。领导该项目的阿兰•保戈希望以此地图为基础, 追寻新兴经济将如何改变世界的面貌。

加蓬的热带雨林活动家-- 在接受路透社的采访时指出,非洲国家必须停止签署不公平交易,把自然资源拱手让给中国和其他国家的外国公司。不久前,Ona因十年来保护世界第二大的刚果盆地热带雨林的民间活动而被授予2009年度非洲戈德曼环境奖。

Ona揭露了一个加蓬政府与中国机械设备进出口公司于2006年签署的高达35亿美元的协议,主要涉及在加蓬的文多国家公园内和周围开发贝林加矿。这个项目包括铁路、公路建设、开采矿藏,并在非洲最美丽的瀑布上修建水坝。 进行了强烈抗议,迫使加蓬减少90%的开采,取消了对中国机械设备进出口公司的减税提议, 并且暂停该项目直到一个环境影响评价出台。

“非洲再不能像上世纪三十年代的做法一样,随意与经济伙伴签署协议去开发自然资源,” 对路透社说,“在贸易合作上,非洲也无须表现得低三下四。我们有资源而经济伙伴有资金,那是50%对50% 。不愿按我们规矩进行合作,可以去其他地方。”

加蓬是刚果盆地的一部分,并且大约75%的国家被茂密的热带雨林覆盖。根据环境保护网站mongabay.com,每年在加蓬逾一万公顷的林地由于过度砍伐而消失。近年来中国在非洲的投资不断增多,但很多项目都是不公开实施。

戈德曼环境奖素有“环境保护的诺贝尔奖”之称。 是今年的六位获奖人之一,其他获奖者来自孟加拉共和国、俄罗斯、印度尼西亚、美国和苏里南。
据美国亚洲协会一项新的报告称,在亚洲获取安全稳定的水源愈发困难,“这会对地区安全产生深远影响”。在这份题为《亚洲下一个挑战:保护地区水资源的未来》的报告中,亚洲协会建议出台综合性战略来扭转地区危机,而这需要高度的政治意愿和大规模投资。

这个位于美国纽约的智库机构警告说,亚洲清洁水源减少将意味着食物供给紧缺,日常生活安全受到威胁,国内或跨境大规模移民上升以及经济和地缘政治的紧张和不稳定局面不断加剧。

亚洲协会会长丁文嘉表示:“以目前主导的环境观来看水短缺和质量下降是远远不够的。”他还谈到,由于国家和社会面临水资源短缺加剧,决策者同时需要考虑该问题对国家安全及社会发展的挑战。

世界一半的人口居住在亚洲,而与此同时它又是除南极洲外人均清洁水源占有率最低的洲。当前,该洲1/5即7亿人口无法获取清洁水源供给,同时有18亿、占该地区一半的人口缺乏基本卫生条件。人口增长、城市化进程加快、高速经济增长以及气候变化都将加剧这一现状。

报告同时暴露了该地区目前以及未来所面临的一些最为严峻的与水资源相关的挑战。其中包括对抗邻国间的水争端,如印度和巴基斯坦;中国由工农业污染所带来的村镇省市间的矛盾;以及气候变化给亚洲冰川带来的负面影响,而这些冰川为许多国家提供着主要清洁水源。

亚洲协会表示,各国政府需要出台可以迅速解决问题的一揽子政策,并联合水源安全利益攸关方进行地区协调合作。

Tuesday, September 4, 2018

苹果不为人知的一面(中文版)

国际环保组织绿色和平今日发布对云南铬污染调查结果,呼吁关注当地居民在铬污染环境中的暴露情况。
       云南违法倾倒铬渣造成水污染事件,被媒体大范围曝光后,绿色和平调查小组从8月17日至25日前往云南实地调查。
       “确凿的调查数据表明,这些堆积了数十年的铬渣,已经严重污染当地环境,并时刻威胁当地居民健康”,绿色和平污染防治项目主任马天杰说,“更令人担忧的是,当地居民仍在这些被严重污染的地区耕种和放牧,或使用受污染的水进行灌溉。他们通过各种途径暴露于铬污染之下,而没有人对他们提出警示或限制。”
       绿色和平调查结果显示,在拥有14万吨铬渣的云南陆良化工实业有限公司厂区东南侧,地下水出水口六价铬浓度超过标准的242倍,该区水稻田中存水的六价铬浓度也高达限值的126倍,而工厂附近用于灌溉农田的南盘江水中六价铬浓度亦超过五类水标准2倍。
       马天杰说:“许多村民为了饮水安全,购买桶装水。但在当地干燥的空气条件下,人们仍可能通过呼吸而中毒。”他认为当地政府或环保组织应该在危险区域设置警示标志,而目前仍没有看到有效保护当地居民的举措。
       绿色和平还呼吁,包括铬渣污染治理在内的全国重金属污染防治工作,应向社会充分公开信息、鼓励公众参与,并强调从源头减少污染物的产生,而非依赖末端治理手段。
奥巴马总统在8月9日宣布了首个控制中大型车辆温室气体排放、以及改进其油耗效率的项目。该计划将帮助车主和经营者们在2014至2018年间节省500亿美元的燃油花费,同时减少约2.7亿吨的碳排放量。
 
大型车辆用途广泛,例如用来运送货物或是作为校车,这些车辆占了美国12%的油耗和6%的温室气体排放量。由于柴油车辆运行费用比汽油车辆要低,柴油车辆仍然占据了大型车辆中的很大比例。燃烧1加仑的柴油会产生超过22(大约10公斤)的二氧化碳,比1加仑汽油产生的量要多3磅(约1.4公斤)。新标准将让一辆普通大型载货卡车每开100英里(约62.1千米),节省1加仑柴油或汽油,并让这些车辆在2018年前减少15%的温室气体排放。
 
烧柴油或汽油燃料除了对气候变化有巨大影响之外,燃烧过程中释放的颗粒物也会造成呼吸系统或心血管疾病。尤其是柴油机废气,在美国国家毒物学研究项目发表的第十一份致癌物报告中被认为是“相当可能成为人类致癌”。其他研还显示柴油货车经常聚集在低收入的社区中,成为当地人民(尤其是老人和儿童)健康的主要担忧。例如,在加利福尼亚州威明顿长滩的居民区中,21.9%的年龄在5到17岁的儿童患有哮喘,比美国该年龄段的哮喘率高了7.7%。
 
早在2001年,美国国家环保局就开始了一项控制大型车辆柴油使用的项目,主要关注硫排放。最近的这项方案第一次将关注点转向二氧化碳排放和更高标准的空气质量,包括通过减少空气中颗粒物来改进臭氧层和空气质量,这些标准在2030年将给美国社会带来高达约42亿美金的福利。
 
美国国家环保局为该项目提供了二氧化碳排放标准,而隶属美国交通部的国道交通安全部设置了燃料使用标准。因为这些车辆载货越重,燃料消耗越多,这项双重标准也让车辆制造商在制造车辆时整体考虑汽车引擎和载重量,这样能最大程度上帮助减少燃油消耗和温室气体排放。
 
这个新的项目将给社会带来多方面的好处,而据奥巴马总统称,这个项目其实是由货车业发起的。它为社会各界合作取得环境、经济、和社会成就树立了一个榜样。据估计通过节省油耗一名半挂汽车运营商通常能在汽车使用寿命内净省73000美金——因此这个项目赢得了来自美国卡车业和环保人士双方的掌声。

Friday, August 31, 2018

अमर सिंह के आरोपों पर अखिलेश का जवाब- बीजेपी चाह रही है ध्यान भटकाना

राज्यसभा सांसद व पूर्व सपा नेता अमर सिंह के आरोपों का यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सधा हुआ जवाब दिया. किसी भी आरोप पर सीधे न बोलते हुए अखिलेश ने कहा कि बीजेपी अहम मुद्दों से ध्यान भटकाना चाहती है.
अखिलेश यादव ने कहा कि मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाने की ताकत सिर्फ बीजेपी के पास है. गरीबी, बेरोजगारी और सरकारी वायदों पर कोई बात नहीं हो रही है. देश का युवा परिवर्तन चाहता है, यूपी की जनता बदलाव चाहती है. किसान से लेकर व्यापारी परेशान हैं. आखिर इन मुद्दों से देश का ध्यान कब तक भटकाया जाएगा.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी 19 सितंबर से साइकिल यात्रा करने जा रही है. जिस एक्सप्रेसवे पर सुखोई और मिराज उतरा था, उसपर नौजवान साइकिल चलाएंगे. उन्होंने कहा कि देश 2019 में नया पीएम चाहता है.
अखिलेश ने कहा कि डिजिटल दुनिया में कुछ फैलाया जा रहा है. इसमें कुछ लोगों को ज्यादा जानकारी है. हमने भी बच्चों को लैपटॉप बांटे थे. जब सरकार बनेगी तब बिना भेदभाव लैपटॉप बांटे जाएंगे. हम सरकार को उसका वायदा याद दिलाना चाहते हैं. एक बार हमारी सरकार में बंटे लैपटॉप की सूची निकालकर देख ले. बीजेपी से बड़ा झूठ कोई बोल नहीं सकता.
पूर्व यूपी सीएम अखिलेश ने कहा कि युवा ही 2019 में लड़ाई लड़ेंगे. ये वही सरकार है जिसने नौकरियां देने का वायदा किया था. लेकिन ऐसा कुछ हुआ ही नहीं. वहीं अमर सिंह द्वारा 'समाजवादी पार्टी' को 'नामाजवादी पार्टी' कहने के सवाल पर अखिलेश ने कहा 'हमारे प्रोडक्ट, बीजेपी वाले प्रोडक्ट नहीं हैं'.
गौरतलब है कि अमर सिंह ने शिवपाल यादव की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने शिवपाल की बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कराने के लिए समय तय कराया था. लेकिन शिवपाल नहीं गए. शिवपाल शिल्पकार नहीं, मुलायम की अच्छी कृति हैं. शिवपाल ने किसी की इज्जत नहीं लूटी. किसी के साथ छेड़छाड़ नहीं की. वहीं, अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने शिवपाल को ही नहीं, बल्कि अपनी मां के साथ-साथ बाप मुलायम सिंह यादवत्तर प्रदेश सरकार बेसिक शिक्षा परिषद ( ) के स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती के लिए परीक्षा की तारीखों का ऐलान कर दिया है. नोटिस जारी कर परीक्षा की तारीख का ऐलान किया है, नोटिस के अनुसार परीक्षा 28 अक्टूबर 2018 को आयोजित की जाएगी और रिजल्ट की 20 नवबंर को बताई गई है. आपको बता दें, पहले योगी सरकारी ने बेसिक शिक्षा परिषद् की सहायक अध्यापक की भर्तियों पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब इसे फिर से शुरू किया जा रहा है.
आपको बता दें, ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 17 सितंबर से शुरू हो जाएगी जो 3 अक्टूबर तक चलेगी. उम्मीदवार  की आधिकारिक वेबासाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. परीक्षा का आयोजन 2 शिफ्ट में किया जाएगा. पहली परीक्षा सुबह 10 से 12.30 बजे तक और दूसरी परीक्षा दोपहर 2.30 से 5.00 बजे तक होगी. वहीं एडमिट कार्ड 17 अक्टूबर को जारी कर दिए जाएंगे.
को भी नहीं छोड़ा.द्र सरकार ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों में दाखिले की कोचिंग को लेकर कदम उठाया है. जहां जेईई परीक्षा की कोचिंग के लिए प्राइवेट संस्थानों लाखों रुपये ले रहे हैं, वहीं सरकार ने इसकी फ्री कोचिंग के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बना रखा है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परीक्षार्थी भी आसानी से इसकी पढ़ाई कर सकेंगे.
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी इसकी जानकारी दी है. जावड़ेकर ने ट्वीट कर बताया कि आईआईटी की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के फायदे के लिए आईआईटी-पीएएल को लोकप्रिय किया जाएगा, जिसके लेक्चर सरकारी वेबसाइट के माध्यम से उम्मीदवारों को प्राप्त होंगे. Swayam नाम की वेबसाइट से छात्र लेक्चर देख सकेंगे और पोर्टल पर जाकर आईआईटी प्रोफेसरों की वीडियो ट्यूटोरियल से आईआईटी एंट्रेंस परीक्षा के लिए तैयारी कर सकेंगे.
आईआईटी काउंसिल की 52वीं बैठक के बाद उन्होंने बताया कि आईआईटी-पीएल प्रोग्राम में गणित, फिजिक्स, केमिस्ट्री के 600 से ज्यादा लेक्चर हैं. जिसके बाद पोर्टल पर बच्चे न सिर्फ इन लेक्चर्स को देख सकेंगे, बल्कि प्रैक्टिस भी कर सकेंगे. ये सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध रहेगी. इससे आने वाले वर्षों में बच्चे जेईई की तैयारी ऑनलाइन कर सकेंगे और उन्हें कोचिंग सेंटर में भारी-भरकम फीस नहीं भरनी पड़ेगी.
बता दें कि इससे पहले भी सरकार ने एडमिशन के लिए आवश्यक जेईई परीक्षा को लेकर भी कई बदलाव किए हैं. जिनके अनुसार अब जेईई की परीक्षा साल में दो बार की जाएगी और जेईई मेंस का आयोजन भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा किया जाएगा.

Monday, August 27, 2018

चर्चों में बच्चों के शोषण पर पोप ने जताई शर्मिंदगी

पोप फ्रांसिस ने कहा है कि वो पादरियों और चर्च के अन्य पदाधिकारियों द्वारा यौन शोषण के "घिनौने अपराधों" से निपटने में कैथलिक चर्च की नाकामी के कारण शर्मिंदा हैं.
इससे पहले आयरलैंड के प्रधानमंत्री ने पोप को कड़ी चेतावनी दी थी कि बाल शोषण और इसे छिपाए रखने के लिए दोषी पारदियों के खिलाफ कार्रवाई करें.
पोप ने पादरियों द्वारा यौन शोषण के पीड़ितों के साथ नब्बे मिनट बिताए.
39 सालों में पहली बार आयरलैंड में पोप का आगमन हुआ है और वह भी संयोग से 'वर्ल्ड मीटिंग ऑफ़ फैमिलीज़' के दौरान. यह एक ऐसा कार्यक्रम होता है जिसमें पूरी दुनिया के कैथलिक हर तीन साल में एकत्रित होते हैं.
मूल रूप से अर्जेंटीना के पोप ने अपने भाषण की शुरुआत में वह चिट्ठी पढ़ी जो उन्होंने इस हफ़्ते दुनिया के 120 करोड़ रोमन कैथलिकों को भेजी है. इस चिट्ठी में उन्होंने बाल शोषण और पादरियों द्वारा इसे छिपाए जाने के 'महापाप' की निंदा की है.बलिन कासल में राजनेताओं और प्रतिनिधियों से पोप ने कहा, "आयरलैंड में चर्च के सदस्यों द्वारा कमउम्र के लोगों का शोषण किया गया, जिनकी सुरक्षा और शिक्षा की ज़िम्मेदारी उन्हीं के ऊपर थी. मैं ऐसा नहीं कर सकता कि इस गंभीर कलंक को अस्वीकार कर दूं."
उन्होंने कहा, "चर्च प्रशासन- बिशप, पादरियों और अन्यों की इन घिनौने अपराधों को निपटने में नाकामी के कारण नाराज़गी पैदा होने स्वाभाविक है. पूरे कैथलिक समुदाय को इससे पीड़ा और शर्म का अनुभव हो रहा है. मैं भी ऐसा ही महसूस कर रहा हूं."
शोषण के बारे में बात करते हुए पोप ने कहा, "मैंने चर्च से इस कलंक को किसी भी कीमत पर जड़ से खत्म कर देने के लिए कड़ी प्रतिबद्धता तय की है."
  • पोप से पहले आरयलैंड के प्रधानमंत्री लियो वराडकर ने कहा कि चर्च, सरकार और पूरे समाज की नाकामी के कारण कई लोगों के लिए कड़वी और बिखरी हुई धरोहर छोड़ी है, दर्द और कष्ट की विरासत छोड़ी है.
    आयरलैंड के चर्च से जुड़े कई सारे स्कैंडलों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "मैग्दलीन लॉन्ड्रीज़, मातृ एवं शिशु गृह, औद्योगिक विद्यालय, गैरकानूनी रूप से गोद लेने और पादरियों द्वारा बच्चों के शोषण के दाग हमारे देश, हमारे समाज और कैथलिक चर्च पर लगे हैं."
    "लोगों को अंधेरे कोनों में रखा गया, कमरों में बंद करके रखा गया, मदद की गुहारें अनसुनी रह गईं..... हे परमपिता, मैं तुमसे गुहार लगाता हूं कि पीड़ितों और इन मुश्किलों से जूझकर बचे लोगों की सुनो."
    वराडकर ने कहा कि बच्चों का शोषण करने वाले और इसे संरक्षण देने वालों के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस अपनाना होगी और इस इन शब्दों को ज़मीन पर उतारना होगा.
    उन्होंने अमरीकी राज्य पेन्सिलवेनिया में हुई एक जांच का हवाला दिया जिसमें 300 पादरियों द्वारा 1000 नाबालिगों के शोषण की बात सामने आई थी.
    एमनेस्टी इंटरनैशऩल आयरलैंड के कोम ओगॉर्मन का एक पादरी ने किशोरावस्था में दो साल तक यौन शोषण किया था. उन्होंने कहा कि पोप ने इस मामले पर कुछ खास या असरदार टिप्पणी नहीं की.
    "उन्हें हमसे बेबाकी और सफाई से बात करनी चाहिए थी. खुलकर और मानवीय ढंग से बात करनी चाहिए थी."

    संस्थागत शोषण के पीड़ितों और जूझकर बचे लोगों के समूह वाविया ने पोप के वाहन के रास्ते में डबलिन कैसल के बाहर प्रदर्शन किया.
    उन्होंने सड़क किनारे बच्चों के जूते रख दिए थे. हर जूता उस बच्चे का प्रतिनिधित्व करता था जिसका पादरियों ने शोषण किया था.

Sunday, August 12, 2018

新“丝绸之路”会是一条绿色之路吗?

骆驼换高铁,大篷车换电站,曾经的丝绸之路似乎正在走向复兴。2017年5月14到15日,“一带一路”峰会将在北京举行,与会各方将深入探讨古丝绸之路的复兴问题。如果单从丝绸之路的历史象征意义来看,你或许认为这次峰会不过是一群学者的神秘聚会,但是事实并非如此。本次峰会将是今年中国在地缘政治领域的一次核心活动,同时也是中国能否成为国际领导力量的分水岭。而“一带一路”计划也将在推动全球,特别是新兴经济体国家可持续发展的过程中发挥决定性作用。

与会各方大揭秘

作为习近平主席的一项重要议程,本次“一带一路”论坛将成为中国在国际舞台上召开的规格最高的会议之一。共有来自28个国家的领导人
出席,而意大利总理则是唯一参会的七国集团(G7)国家领导人。此外,联合国、世界银行、国际货币基金组织的领导人,以及110个国家的代表也将参加本次会议。

本次大会首先将由习近平主席发表主旨演讲,随后是各国首脑参加的全体大会,以及一系列各方代表参加的平行讨论会。5月15日将召开专门的政策会议,讨论会议公报草案,最终文件可能会在峰会结束时公布。

什么是“一带一路”计划?重要性何在?

近些年来,中国不仅在国内取得了飞速发展,对拉美和非洲国家的海外投资和开发也引发了媒体的广泛关注。2013年,习近平主席首次提出了“一带一路”倡议,希望借此进一步推动海外开发。按照规划,中国将向古丝绸之路沿线的60多个国家投资大约
4万亿美元。

根据2015年春季发布的《推动共建丝绸之路经济带和21世纪海上丝绸之路的愿景与行动》,“一带一路”规划分为“丝绸之路经济带”(即“一带”)和“21世纪海上丝绸之路”(即“一路”)两部分,主要是通过基础设施建设投资提高区域内部的互联互通。

目前,“一带一路”沿线已有部分项目开工建设。2016年8月,习近平主席宣布,中国已经与
30多个沿线国家正式签署了共建“一带一路”合作协议,并且同20多个国家就铁路、燃煤电厂等900多个规划项目展开合作。

“一带一路”规划之所以重要,不仅仅是因为来自中方的巨额投资,更重要的是其政治意义。如今美国的政策正逐渐转向国内,而中国则希望通过“一带一路”规划开启更具包容性的“全球化2.0时代”。如果真是如此,中国将通过“一带一路”持续重塑传统的发展模式,并重新打造一种能够深刻改变现有全球治理的新体系。

“一带一路”的环境意义

中国对新丝绸之路展现出了前所未有的开发热情,而这对当地自然环境来说却是喜忧并存。2015年颁布的《推动共建丝绸之路经济带和21世纪海上丝绸之路的愿景与行动》中要求,“强化基础设施绿色低碳化建设和运营管理,在建设中充分考虑气候变化影响。”

此外,中国社会科学院2016年发布的一份
报告强调,“一带一路”规划是中国帮助发展中国家提高环境机构能力的一个良机。此外,报告还呼吁中国在政策、战略和规划阶段等多个层面展开全面的环境影响评估。

从陆上线路来看,中国的开发计划将会给丝绸之路沿线国家带来多重环境隐忧。从一开始, “一带一路”规划设定的一部分目标就是为了吸收中国钢铁和水泥行业过剩的产能,进而带动中国国内经济发展。而这种模式实际上走的还是高碳重污染的老路,很难帮助规划沿线国家减少对重工业的依赖。

从更广泛的角度来看,这就牵扯到了一些不必要的、或利用率低的基础设施。亚洲开发银行预计,到2020年亚洲地区每年新建基础设施项目资金总需求为7700亿美元。机遇虽好,但是中国也必须审慎投资,避免不必要的资源浪费。

“一带一路”计划的一个焦点就是化石燃料相关的基础设施建设,比如新建一条横穿缅甸的输油管道,以及在巴基斯坦和东南亚地区建设多座燃煤电厂。虽然中国一直在国内和国际社会大力宣扬绿色能源的巨大潜力,但是这些煤电投资却会让上述地区背上化石燃料的枷锁。过去,中国的海外开发项目常常带来不少环境污染问题,比如在加纳进行的矿产开发就曾造成当地水资源污染。当地社区对这些生态环境破坏的各种疑虑使中方海外发展计划大受影响,比如此前缅甸方面就曾叫停了位于伊洛瓦底江的中国密松水电站项目。